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AMU अवैध कब्जा: बुलडोजर एक्शन से 126 करोड़ की जमीन अतिक्रमण से करवाई मुक्त, जानें पूरा मामला


अलीगढ़ में नगर निगम ने AMU अवैध कब्जा हटाकर 1.26 अरब की जमीन मुक्त कराई। यह कार्रवाई नगला पटवारी भमोला में हुई। प्रशासन ने बुलडोजर से अतिक्रमण हटाया। नगर निगम ने बोर्ड लगाए। AMU ने कानूनी कार्रवाई की बात कही। यह विवाद चर्चा में है।

AMU अवैध कब्जा: कार्रवाई का विवरण


नगर निगम और जिला प्रशासन ने संयुक्त कार्रवाई की। इसलिए, नगला पटवारी भमोला में 41,050 वर्ग मीटर जमीन मुक्त हुई। गाटा संख्या 92, 94, 95/1, 95/2, 96, 98 शामिल हैं। इसकी कीमत 1.26 अरब रुपये है। बुलडोजर से अवैध निर्माण हटाए गए। इसके बाद, नगर निगम ने स्वामित्व बोर्ड लगाए। सहायक नगर आयुक्त वीर सिंह और उपजिलाधिकारी दिग्विजय सिंह मौजूद थे। प्रशासन का कहना है कि यह जमीन नगर निगम की थी। AMU ने अनधिकृत कब्जा किया था।

AMU का दावा और कानूनी कदम


AMU ने कार्रवाई को अवैध बताया। विश्वविद्यालय का कहना है कि जमीन उनकी है। इसे 1894 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत लिया गया। AMU के प्रवक्ता उमर पीरजादा ने कहा कि कोई नोटिस नहीं मिला। इसलिए, विश्वविद्यालय कानूनी कार्रवाई करेगा। AMU का दावा है कि जमीन पर घुड़सवारी क्लब था। 80 साल से इसका उपयोग हो रहा था। विश्वविद्यालय दस्तावेज पेश करेगा। यह मामला कोर्ट में जा सकता है।

AMU अवैध कब्जा: भविष्य की योजनाएं


नगर आयुक्त विनोद कुमार ने सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि ऐसी कार्रवाइयां जारी रहेंगी। AMU ने अन्य जमीनों पर भी कब्जा किया है। जांच के बाद उन्हें भी मुक्त कराया जाएगा। प्रशासन सरकारी संपत्ति की रक्षा करेगा। स्थानीय लोग इस कार्रवाई से खुश हैं। लेकिन, कुछ लोग इसे राजनीतिक बताते हैं। नवभारत टाइम्स के अनुसार, यह मामला स्थानीय राजनीति को प्रभावित कर सकता है। प्रशासन ने भविष्य में और सख्ती का ऐलान किया।

सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव


यह कार्रवाई अलीगढ़ में चर्चा का विषय बनी। कुछ लोग इसे सरकारी जमीन की रक्षा मानते हैं। वहीं, AMU समर्थक इसे अन्याय बताते हैं। सोशल मीडिया पर बहस चल रही है। स्थानीय नेताओं ने भी प्रतिक्रियाएं दीं। यह मामला उत्तर प्रदेश की राजनीति में असर डाल सकता है। प्रशासन ने कहा कि कोई भी संस्थान कानून से ऊपर नहीं है। नागरिकों से सहयोग की अपील की गई।

हमारी राय जानने के लिए नीचे कमेंट करें। क्या यह कार्रवाई सही थी? अपनी राय साझा करें।

#उततरपरदश #भरत

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अंडरवर्ल्ड डॉन बंटी पांडे की सनसनीखेज गिरफ्तारी: 2004 के अपहरण और हत्याकांड में CID क्राइम का बड़ा एक्शन


Bunty Pandey Arrest: गुजरात के वापी में साल 2004 में हुए एक सनसनीखेज अपहरण और हत्याकांड के मुख्य आरोपी, अंडरवर्ल्ड डॉन प्रकाश चंद्र पांडे उर्फ बंटी पांडे को आखिरकार CID क्राइम ने गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी 28 मार्च 2025 को हुई, जब बंटी को सूरत की लाजपुर सेंट्रल जेल से चार दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया। कभी छोटा राजन का खास गुर्गा रहा बंटी पांडे साधु के भेष में छिपा हुआ था, लेकिन अब कानून के शिकंजे में आ चुका है। इस मामले ने उस वक्त सुर्खियां बटोरी थीं, जब वापी के उद्योगपति के बेटे की हत्या कर दी गई थी, और फिरौती के 5 करोड़ रुपये वसूलने के बाद भी उसका शव बरामद हुआ था। आइए जानते हैं इस पूरे घटनाक्रम की सच्चाई।

2004 का वह खौफनाक अपहरण और हत्या


साल 2004 में गुजरात के वापी में आइडियल ट्रेडिंग कंपनी के संचालक मुतूर अहमद कादिर खान के बेटे अबू बकर खान का अपहरण हुआ था। यह परिवार ट्रांसपोर्ट और नेटवर्किंग के कारोबार से जुड़ा था। बंटी पांडे ने अपने गुर्गों भूपेंद्र वोरा और संजय सिंह उर्फ राहुल के साथ मिलकर इस अपहरण को अंजाम दिया। खान परिवार को धमकी भरे फोन कॉल्स आए, जिसमें 5 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी गई। डर के मारे परिवार ने दुबई में अपने एक रिश्तेदार के जरिए यह रकम चुका भी दी। लेकिन बंटी पांडे की गैंग ने इसके बाद भी अबू बकर से परिवार की बात नहीं कराई। जब परिवार को शक हुआ, तो उन्होंने वापी पुलिस से संपर्क किया। जांच में घोलवड इलाके से अबू बकर का शव बरामद हुआ, जिसका सिर गायब था। बाद में पता चला कि उसकी गला रेतकर हत्या की गई थी।

महाराष्ट्र बॉर्डर पर हत्याकांड का खुलासा


इस हत्याकांड को महाराष्ट्र के असवाली डैम इलाके में अंजाम दिया गया था। सूरत क्राइम ब्रांच ने उस वक्त संजय सिंह को गिरफ्तार किया था। पूछताछ में संजय ने कबूल किया कि बंटी पांडे के कहने पर भूपेंद्र वोरा, छोटू धोबी और विनोद ने मिलकर अबू बकर की हत्या की थी। पुलिस ने इस गैंग के सभी सदस्यों को वांछित घोषित कर दिया था। लेकिन बंटी पांडे फरार हो गया और कई देशों में अपनी पहचान छिपाकर रहने लगा। इस केस की गंभीरता को देखते हुए जांच CID क्राइम को सौंपी गई थी।

साधु के भेष में छिपा था बंटी पांडे


बंटी पांडे की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं है। छोटा राजन के लिए काम करने के बाद उसने अपनी खुद की गैंग बनाई और हत्या, अपहरण व फिरौती जैसे संगीन अपराधों को अंजाम दिया। 2001 में उसने वियतनाम में सरेंडर कर दिया था, जिसके बाद CBI उसे भारत लाई और मुंबई पुलिस को सौंपा। कई राज्यों में दर्ज मामलों में वह जेल में रहा। पिछले पांच सालों से वह नैनीताल की अल्मोड़ा जेल में साधु के भेष में रह रहा था। नाथ संप्रदाय के साधु बनकर उसने अपनी पहचान छिपाने की कोशिश की, लेकिन CID क्राइम की पैनी नजर से बच नहीं सका।

CID क्राइम की 10 साल की मेहनत रंग लाई


इस हत्याकांड में बंटी पांडे को पकड़ने के लिए CID क्राइम ने 10 साल पहले दिल्ली की तिहाड़ जेल में वारंट जमा किया था। हाल ही में उसे अल्मोड़ा जेल से सूरत की लाजपुर सेंट्रल जेल लाया गया। वहां से CID क्राइम ने उसे गिरफ्तार कर चार दिन की रिमांड पर लिया। अब पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस गैंग के बाकी फरार सदस्य कहां छिपे हैं और बंटी के पास कितने पुराने राज दफन हैं।

छोटा राजन से लेकर खुद का साम्राज्य


बंटी पांडे की आपराधिक दुनिया की शुरुआत उत्तराखंड के नैनीताल से हुई थी। छोटे अपराधों से शुरूआत करने के बाद वह छोटा राजन का खास बन गया। 2000 में छोटा राजन पर हमले के बाद वह अंडरवर्ल्ड से गायब हो गया और विदेशों में छिपता रहा। उसने अभिनेताओं को लुभाने के लिए अखबारों में विज्ञापन देने जैसे तरीके भी अपनाए और फिरौती के लिए उनका अपहरण किया। गुजरात, दिल्ली, मुंबई और उत्तर प्रदेश में उसके खिलाफ 40 से ज्यादा मामले दर्ज हैं।

खान परिवार की अधूरी उम्मीदें


अबू बकर के अपहरण के बाद खान परिवार ने फिरौती की पूरी रकम देने के बावजूद अपने बेटे को खो दिया। उस वक्त यह घटना वापी में चर्चा का विषय बन गई थी। आज 21 साल बाद बंटी पांडे की गिरफ्तारी से परिवार को इंसाफ की उम्मीद जगी है। पुलिस का कहना है कि रिमांड के दौरान बंटी से कई और खुलासे हो सकते हैं।

यह गिरफ्तारी न केवल एक पुराने केस को सुलझाने की दिशा में बड़ी कामयाबी है, बल्कि अंडरवर्ल्ड के उन तारों को भी उजागर कर सकती है, जो सालों से छिपे हुए थे।

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